स्पेशल रिपोर्ट

डीटॉक्स: शरीर की सामान्य शुद्धि। कैसे परजीवियों से राहत पाएँ, वजन कम करें और अपना स्वास्थ्य ठीक करें

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अपशिष्ट पदार्थ, जहर, कीटनाशक और परजीवी धीरे-धीरे जनसंख्या को मार रहे हैं - एक सनसनीखेज बयान
भारतीय मेडिकल असोशिएशन (आईएमए) का।

आईएमए के अनुसार एक औसत आदमी साल भर में 10-15 किलो आनुवांशिक रूप से बदले गए अनाज, कीटनाशक, प्रिसरवेटिव रसायन, बढ़त के हॉरमोन और भरी धातुएँ ग्रहण करता है। इन पदार्थों के साथ परजीवी भी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और अधिकतर मामलों में इनके ऐसे परिणाम होते हैं जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता जैसे: रोग प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाना और गंभीर बीमारियाँ हो जाना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार हर साल करीब 10,00,000 लोग परजीवियों के संक्रमण से गुजर जाते हैं।

थकान, डिप्रेशन, नींद में परेशानी, सरदर्द, त्वचा और जोड़ों की परेशानियाँ शरीर में हानिकारक पदार्थों और परजीवियों से शरीर में विष फैल जाने के कारण ही होती हैं।

"हो सकता है कि किसी व्यक्ति ने कई सालों तक टेस्ट करवाए हों। हर डॉक्टर मरीज का अपने हिसाब से जैसी उसे बीमारी समझ आती है वैसा इलाज करता है और कभी जड़ तक नहीं पहुँचता। और इसका कारण यह नहीं है कि डॉक्टर के पास ऊंची डिग्री नहीं है, असल बात तो यह है कि परजीवी बीमारियों की जड़ माने ही नहीं जाते। इससे कोई फायदा नहीं होता। आंकड़ों के अनुसार 91% मामलों में संक्रमित मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसके शरीर में परजीवी हैं। "- यह कहना है परजीवी विशेषज्ञों का।

आईएमए: "दुनिया की करीब 75% जनता परजीवियों की बीमारियों की वाहक है। अगले 10 सालों में मौतों की संख्या दोगुनी हो जाने वाली है!"

परजीवी शरीर में कॉलोनी बना लेते हैं। ये सभी उपयोगी पदार्थों को खुद अवशोषित कर लेते हैं जिससे मानव स्वास्थ्य खराब होने लगता है। जब परजीवी खून की नलियों में जम जाते हैं तो खून के थक्के बनाते हैं, हार्ट अटैक, लकवा और दिल की दूसरी बीमारियों का कारण बनते हैं। शरीर के अंगों के सिस्टम में पूरी कॉलोनी बनाकर परजीवी और उनके अपशिष्ट पदार्थ संक्रमण और ट्यूमर की ओर ले जाते हैं।

मानव लीवर में Echinococcus granulosus
मानव आंत में Ascaris
मानव शरीर में Liver fluke
मानव शरीर में Opisthorchiasis

भारतीय मेडिकल असोशिएशन के अनुसार शरीर में परजीवियों के विषैले पदार्थ और उनकी हानिकारक गतिविधियों के कारण 64% मरीजों में कैंसर और एड्स होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

शरीर की मदद कैसे करें?

आईएमए की रिपोर्ट-
डॉ सुधीर जोशी,
परजीवी रोग विशेषज्ञ-इम्यूनोलॉजिस्ट

शारीरिक कमजोरी, उनींदापन, मूड खराब रहना, उदासीनता और डिप्रेशन - आधुनिक मेडिकल साइंस इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेता। ये गंभीर बीमारियों के प्रतीक होते हैं जिनमें परजीवियों की बीमारियाँ भी शामिल हैं।

मरीज अधिकतर मेरे पास तब आते हैं जब उन्हें लंबे समय से थकान के लक्षण होते हैं। इस समय वे कई डॉक्टरों को पहले ही दिखा चुके होते हैं और विटामिन, इम्यूनोस्टिमुलेंट वगैरह की दवाइयों को लेकर देख चुके होते हैं। लेकिन अच्छे से डीटॉक्स नहीं करने पर इन दवाइयों से कोई फायदा नहीं होता।

कई लोग इस मुगालते में रहते हैं कि डीटॉक्सिफिकेशन सिर्फ वजन कम करने के लिए उपयोगी है। खराब स्वास्थ्य और कमजोर रोग प्रतिरोधी क्षमता आज की शहरी ज़िंदगी के नतीजे हैं। डीटॉक्सिफिकेशन शरीर से परजीवी और विषैले पदार्थ (अपशिष्ट, टॉक्सिन, कीटनाशक, भरी धातुएँ) साफ करके बीमारियों और दूसरे लक्षणों को दूर करता है।

डीटॉक्स करने के कई तरीके होते हैं: प्रक्रियाएँ (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लावाज़ और हाइड्रोकोलोनोथेरेपी) और खास तरह के पदार्थ ग्रहण करना (एक्टिवेटेड कार्बन, सिलिकॉन डाइऑक्साइड, लिग्निन आदि।)। लेकिन ये तरीके पुराने हो चुके हैं और इनके लिए ट्रेनिंग और डॉक्टर की देखरेख जरूरी होती है।

विज्ञान विकास करता रहता है और Toxic OFF जिसे परजीवी वैज्ञानिकों ने तैयार किया है इसका प्रमाण है। यह एक होम डीटॉक्स उपाय है। यह पुराने तरीकों की तुलना में कई गुना असरदार है और इसके लिए डॉक्टर के पास भी नहीं जाना पड़ता।

Toxic OFF

पहले कुछ दिनों में Toxic OFF उपयोग करने से विषैले पदार्थों का असर खत्म हो जाता है, परजीवियों के कार्यकलाप दब जाते हैं और ये शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

उपाय Toxic OFF के घटकों में किसी तरह के एंटीबायोटिक्स या आक्रामक पदार्थ नहीं हैं। यह प्रोडक्ट सौम्यता से काम करता है, प्राकृतिक प्रक्रियाओं को दबाता नहीं है क्योंकि इसमें केवल प्राकृतिक अर्क होते हैं:

एम्बिलिका एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट जो दूर करता है विषैले पदार्थ। साफ करता है फेंफड़े, खून, लिम्फ़, लीवर और किडनी। दूर करता है बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु और इससे रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है।

वर्मवुड अर्क सबसे सक्रिय परजीवियों के क्रियाकलाप बंद कर देता है। उन्हें निष्क्रिय करके दबा देता है उनकी प्रजनन क्षमता को और बाहर निकाल देता है इन्हें और इनके अंडों को।

गोटू काला जो प्रेरित करता है पित्त बाहर निकलने को जिससे पाचन प्रणाली में अवरोध, परजीवी, इनके लार्वा और अंडे साफ हो जाते हैं। बेहतर करता है पाचन।

हल्दी के दाह-नाशक और ट्यूमर नाशक असर होते हैं। यह नष्ट करती है शरीर में कैंसरकारी जीवाणुओं को। दबा देती है जीवाणुओं और वायरसों के क्रियाकलापों को।

सेलेरी वापस ठीक करती है उन ऊतकों को जो परजीवी खराब कर चुके होते हैं। यह आंतों के स्वस्थ बैक्टीरिया वापस लाती है और बढ़ा देती है शरीर का सुरक्षात्मक कार्यकलाप।

प्रयोगशाला में शोध के नतीजे जो

इंस्टीट्यूट ऑफ पैरासीटोलॉजी में किया गया था

2019 में Toxic OFF को इंस्टीट्यूट ऑफ पैरासीटोलॉजी की एक स्वतंत्र प्रयोगशाला में टेस्ट किया गया था। इस प्रोडक्ट का असर सभी प्रतिभागियों ने महसूस किया था।

  • शरीर से परजीवियों और टॉक्सिन की पूरी सफाई

    98% प्रतिभागी
  • व्यक्ति की सबसे महत्वपूर्ण प्रणालियों का सामान्य हो जाना

    97% प्रतिभागी
  • बेहतर शारीरिक क्षमता और प्रदर्शन

    89% प्रतिभागी
  • वजन में 5-10 किलो कमी

    89% प्रतिभागी
  • लंबी बीमारियों का हल्का असर

    81% प्रतिभागी

इसके अलावा Toxic OFF के एक कोर्स से प्रतिभागियों की नींद अच्छी हो गई, त्वचा की स्थिति बेहतर हुई (पापिलोमा और सोरायसिस चले गए), जोड़ लचकदार हो गए, सीजनल और घरेलू एलर्जी चली गई और दिमाग तेज चलने लगा।

इसका तात्पर्य यह निकला कि डीटॉक्स किसी को हानि नहीं पहुँचाते और उन लोगों के लिए तो बहुत जरूर हैं जो अक्सर सब्जियाँ, नॉन-वेज, मिठाइयाँ, कॉफी और शराब लेते हैं।

Toxic OFF

Toxic OFF को आपकी प्राथमिक उपचार किट में होना ही चाहिए यदि आप पालतू जानवरों, खेत (गार्डन/सब्जियों का गार्डन) के संपर्क में रहते हैं; यदि आप अक्सर सार्वजनिक परिवहन या शौचालय उपयोग करते हैं।

इस समय दवाई कंपनियों के साथ बात-चीत चल रही है कि प्रोडक्ट को सभी दवाई की दुकानों में बनाने वाली कंपनी के फिक्स रेट पर कैसे उपलब्ध कराया जाए। हम इसकी बारीकियों के बारे में सभी को सूचित करेंगे पर अभी के लिए Toxic OFF बनाने वाली कंपनी इसे ऑफिशियल वेबसाइट पर ही बेच रही है जिससे दवाई कंपनियों और दुकानों को मार्जिन नहीं मिल रहा।

आंकड़े दर्शाते हैं कि ऐसे कई निराशावादी लोग हैं जिन्हें लगता है कि परजीवियों से उन्हें कुछ नहीं होगा। ऐसे लोगों से मैं कुछ सवाल पूछना चाहूँगा:

यदि आपने कम से कम दो सवालों का जबाब हाँ में दिया है तो यह चिंता की बता है। मेरी तो यही सलाह है कि आप Toxic OFF लेना शुरू कर दें।

टिप्पणियाँ (22)

निशा चतुर्वेदी:
समय 4:59 पीएम

दवाई की तो दुकान जाने में भी घबराहट होती है - सब प्रोडक्ट्स में तरह-तरह के प्रिसर्वेटिव और इमल्सीफायर, जीएमओ और सब कचरा भरा होता है।

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कोमल चौहान:
समय 7:28 पीएम

सफाई के ऐसे तरीके के बारे में पहले कभी नहीं सुना, टिप के लिए थैंक्स। इस कोर्स को खरीद कर ट्राय जरूर करूंगी, काश फायदा हो जाए।

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नेहा तिवारी:
समय 11:41 एएम

अभी हाल ही में Toxic OFF के बारे में पढ़ा और तुरंत ऑर्डर कर दिया। घर में दो कुत्ते पाले हुए हैं और देख रही थी कि पिछले महीने से पति का वजन अचानक बहुत कम होता चला जा रहा था और इस लेख में जैस लक्षण बताए गए हैं, उन्हें ऐसी ही शिकायतें आ रही थीं। मुझे पक्का विश्वास है कि उनके शरीर में परजीवी हैं।

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शहनाज:
समय 00:07 एएम

दोस्तों, सच बताऊँ हमारे परिवार में भी ऐसी ही दिक्कत थी। पर मुझे लंबे समय से Toxic OFF के बारे में पता था और इसलिए मेरी बहन ने इसी से परजीवियों से छुटकारा पा लिया था। इसलिए हमने इसे तुरंत लेना शुरू कर दिया था और बड़ी जल्दी ठीक हो गए। मैं लेखक से पूरी तरह से शामत हूँ, इलाज से रोकथाम कहीं बेहतर होती है।

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सविता:
समय 07:32 पीएम

जब भी जानवरों को छूएँ तो अपने हाथ जरूर धोएँ!

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आरती:
समय 05:12 पीएम

हम्म, आपने शायद परजीवियों के बारे में कभी नहीं सुना है, इसलिए आप ऐसा सोचती हो। मई पिछली पूरी ठंड में गार्डन की देखभाल करती रही थी। और मैंने ग्लव्स पहने थे तब भी इन्फेक्शन हो गया।

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प्राची:
समय 05:50 पीएम

मई बहुत डरती हूँ! मुझे भी ये सब लक्षण हैं। मैं इस प्रोडक्ट को तुरंत ऑर्डर कर रही हूँ ताकि रोकथाम हो सके।

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स्नेहा:
समय 06:46 पीएम

सही है, कई डॉक्टर डीटॉक्स की बात करते हैं कहते हैं ये शरीर के लिए अच्छा है। मुझे ये बात पहले समझ नहीं आती थी पर अब सब समझ गई हूँ। ये जीएमओ और ऐसी चीजें हमें मार रही हैं। अभी मैं खुद Toxic OFF ऑर्डर करूंगी और घर पर ही डीटॉक्स करूंगी।

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लता:
समय 09:13 पीएम

पहले मैं हर साल एक स्पेशल क्लीनिक या सैनिटोरियम जाती थी जहाँ मेरी आंत पूरी साफ की जाती थी। डीटॉक्स का असर बहुत बढ़िया होता है। अब मेरी हैल्थ बहुत बढ़िया रहती है।

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पूजा:
समय 01:09 पीएम

शानदार प्रोडक्ट है, मेरी माँ ने मुझे इसके बारे में बताया था। उन्हें डीटॉक्स प्रोडक्ट बहुत अच्छे लगते थे और वे हमेशा डाइट पर बहुत ध्यान देती थीं। Toxic OFF के एक कोर्स के बाद वो ज्यादा जवान लगने लगी थीं। मैं अभी अपनी हैल्थ को लेकर परेशान नहीं हूँ हालांकि पहले माइग्रेन रहता था। मैंने ये भी देखा कि ऑफिस में भी काम अच्छे से करने लगी थी (मैं एक अकाउंटेंट हूँ।) मैं तो सभी को ये लेने कहूँगी।

अरे! मैंने पूरा कोर्स कर लिया। मैं अभी अपनी हैल्थ को लेकर परेशान नहीं हूँ हालांकि पहले माइग्रेन रहता था। मैंने ये भी देखा कि ऑफिस में भी काम अच्छे से करने लगी थी (मैं एक अकाउंटेंट हूँ।) मैं तो सभी को ये लेने कहूँगी।

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प्रियंका: पूजा:
समय 02:14 पीएम

मुझे समझ नहीं आता आप लोग ये सब चीजें यहाँ क्यों पोस्ट करते हो?

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नलिनी: प्रियंका:
समय 04:38 पीएम

जो नैचुरल होता है सुंदर भी होता है!

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लीना:
समय 11:18 पीएम

हैलो। मैं भी परजीवियों से लड़ने के लिए कोई प्रोडक्ट ढूंढ रही थी और फिर ये लेख पढ़ा। अब इसे ऑर्डर कर रही हूँ। मेरे पूरे परिवार का टेस्ट हुआ और परजीवी पाए गए। मुझे तो पता भी नहीं ये परजीवी आए कहाँ से, हम तो मार्केट से पूरे नैचुरल प्रोडक्ट ही खरीदते हैं।

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रुचि बिल्लोरे: पारुल:
समय 09:10 AM

अब आ समझ गई होगी क्या अच्छा है। मार्केट में कई माइक्रोब हैं, मार्केट में कोई खाने को ठीक से रखने पर ध्यान देता है क्या (खासकर नॉन-वेज और मछली)। सुपरमार्केट में तो ढेरों केमिकल हैं।

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दीपिका शर्मा: रुचि बिल्लोरे:
समय 09:27 AM

100%

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आशीष:
at 11:01 AM

हैलो, जानकारी के लिए थैंक्स। हम 2 हफ्ते परेशान रहे और देसी तरीके ट्राय कर रहे थे। लेकिन ये सब बेकार हैं! जैसी ही परजीवी रोधी प्रोडक्ट लिया तो तुरंत अच्छा लगने लगा। दूसरे ही दिन पेट फूलना और उल्टी आना वगैरह बंद हो गया। एक हफ्ते बाद टेस्ट करवाए तो सब ठीक आया।

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सोनिया:
समय 11:05 AM

बिल्कुल सहमत हूँ आपसे - परजीवी तो सार्वजनिक परिवहन, ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और खाने से भी आ सकते हैं। मेरे पति को ही लें, उन्हें नॉन-वेज बहुत पसंद है, इसलिए घर में परजीवी नाशी प्रोडक्ट जरूर रखते हैं। जो लोग सावधान रहते हैं वे ही बीमारी से बचते हैं। मैं तो Toxic OFF अपने परिवार के लिए ऑर्डर कर रही हूँ।

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नितेश:
समय 20:11 पीएम

अभी तक यह पता नहीं चला है कि परजीवी कितने प्रकार के होते हैं लेकिन लोग इनके असर से बीमार जरूर पड़ने लगे हैं। मैंने तो सुना है कि परजीवी 19 प्रकार के होते हैं जिनसे मौत भी हो सकती है। हमें दवाइयों और एंटीबायोटिक्स से इन्हें दूर जरूर करना चाहिए।

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डॉ नरेश शाह:
समय 03:32 पीएम

एंटीबायोटिक्स से परजीवी दूर नहीं होते; ये व्यापक असर के लिए होते हैं। ऐसे मामलों में तो ऐसा प्रोडक्ट चाहिए तो परजीवियों पर ही सीधे असर करे और उनकी कार्यकलाप दबा दे। उदाहरण के लिए Toxic OFF लें। परजीवी नाशक दवाएं परजीवियों को तोड़ देती हैं जिससे ये प्राकृतिक रूप से शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

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शारदा रंजन: डॉ नरेश शाह:
समय 08:44 पीएम

थैंक्स, मुझे एंटीबायोटिक्स वाली बात समझ आ गई। डॉक्टर भी बोले थे कि एंटीबायोटिक्स से परजीवियों पर कोई असर नहीं होता, ये बस शरीर के अच्छे बैक्टीरिया मार देते हैं और इनसे तो परजीवी और बढ़ भी जाते हैं।

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महेश शर्मा: शारदा रंजन:
समय 10:14 पीएम

जब नैचुरल चीजों वाली चीज उपलब्ध हो तो केमिकल और एंटीबायोटिक्स से शरीर में जहर क्यों भरना। समझ नहीं आता...

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मीनक्षी:
समय 00:03 पीएम

अभी-अभी ऑर्डर मिला। पावरफुल डीटॉक्स शुरू कर रही हों!

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